
वाराणसी दालमंडी चौड़ीकरण को लेकर मुफ्ती मौलाना बातिन नोमानी ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र,*

*GRNews Network Brodcast center editor in chief ved Parkash Srivastava
वाराणसी । ऐतिहासिक दालमंडी में प्रस्तावित चौड़ीकरण योजना को लेकर शहर मुफ्ती मौलाना बातिन नोमानी ने राष्ट्रपति को एक कड़ा पत्र लिखा है। इस योजना के तहत 6 मस्जिदों और हजारों मकानों को तोड़ने का खतरा है, जिससे शहर में गहरा आक्रोश है। नोमानी ने राष्ट्रपति से इस संवेदनशील मुद्दे पर हस्तक्षेप करने और हजारों परिवारों को बेघर होने से बचाने की अपील की है, साथ ही शहर की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने का भी आग्रह किया है।
वाराणसी: शहर की ऐतिहासिक दालमंडी में प्रस्तावित चौड़ीकरण योजना को लेकर शहर में गहमा-गहमी बढ़ती जा रही है। इस योजना से सैकड़ों परिवारों और धार्मिक स्थलों पर पड़ने वाले संभावित असर को देखते हुए, शहर मुफ्ती मौलाना बातिन नोमानी ने राष्ट्रपति को एक भावुक पत्र लिखा है। उन्होंने इस परियोजना पर अपनी गहरी चिंता और कड़ा विरोध व्यक्त किया है
दरअसल, दालमंडी को चौड़ा करने की योजना पर काम चल रहा है, जिसके तहत कई पुराने मकानों और दुकानों के साथ-साथ कुछ मस्जिदों को भी तोड़ने की बात सामने आ रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर यह योजना मौजूदा स्वरूप में लागू होती है, तो लगभग 6 मस्जिदों और हजारों मकानों पर बुलडोजर चलने का खतरा है। इससे न केवल हजारों परिवार बेघर हो जाएंगे, बल्कि शहर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को भी भारी नुकसान पहुंचेगा।
शहर मुफ्ती मौलाना बातिन नोमानी ने अपने पत्र में राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने लिखा है कि दालमंडी सिर्फ एक बाजार नहीं है, बल्कि यह बनारस की पहचान और सैकड़ों सालों की विरासत का हिस्सा है। यहां रहने वाले लोग पीढ़ियों से अपने घरों में रह रहे हैं और इन मस्जिदों से उनकी गहरी आस्था जुड़ी हुई है।
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ से समाज में अशांति फैल सकती है और लोगों के अधिकारों का हनन होगा। मुफ्ती नोमानी ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वे इस संवेदनशील मुद्दे पर संज्ञान लें और सुनिश्चित करें कि कोई भी विकास परियोजना लोगों की आस्था, आजीविका और आवास को उजाड़कर न की जाए। उन्होंने सरकार से इस योजना का कोई ऐसा विकल्प तलाशने की मांग की है जिससे लोगों को कम से कम परेशानी हो और धार्मिक स्थलों को बचाया जा सके।
इस परियोजना को लेकर दालमंडी और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में जबरदस्त गुस्सा और आक्रोश है। वे लगातार प्रशासन से अपनी चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि उन्हें बिना किसी उचित पुनर्वास योजना के अपने घरों से बेदखल करना अन्यायपूर्ण होगा। यह मामला हाई कोर्ट भी गया और दर्जनों याचिकाओं पर अदालत ने प्रशासन को हुक्म दिया है कि चौडीकरण के ज़द में आने वाले भवन स्वामियों से नियमानुसार आपसी सहमती कायम कर अधिग्रहण किया जाए। अब देखना यह होगा कि राष्ट्रपति और सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं और दालमंडी के हजारों बाशिंदों के भविष्य का क्या होता है।