
†यज्ञ का पवित्र धूम है वह विश्व कल्याणकारी और ज़न हितकारी-कुलपति प्रो शर्मा *

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एडिटर इन चीफ वेद प्रकाश श्रीवास्तव
वाराणसी। दिनांक १०जून, दुनिया में जब अनेक राष्ट्रों के पारस्परिक संघर्ष के कारण उठने वाले बारूद का धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है जिससे दुनिया विविध रोगों की चपेट में आ रही है ऐसे में य़ह केवल भारत की पवित्र संस्कृति ही है जो उस बारूद के धुएँ को यज्ञ की पवित्र धूम से शतौषधियों से युक्त सामग्री से होने वाले हवन से उठने वाले पवित्र-शुद्ध धूम से उस बारूद के धुएँ से होने वाले दूषित पर्यावरण को शुद्ध कर रही हैं। हमारे यज्ञ का पवित्र धूम है वह विश्व कल्याणकारी और ज़न हितकारी है क्योंकि दुनियां भर में आज केवल बारूद का धूँआ उठ रहा है उस प्रदुषित धुएँ से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए केवल भारतीय पद्धतियों मे किये जाने वाले यज्ञ के अनुसरण से ही कल्याण सम्भव है, इसलिए यह विश्वविद्यालय अपनी सामाजिक दायित्व के महत्व को समझते हुए उस भूमिका का निरन्तर निर्वहन कर रहा है।इसी से प्रभावित होकर दुनिया भर के लोग जुड़ रहे हैं। अरणी मंथन द्वारा अग्नि मंत्र का उच्चारण करते हुए अग्नि को प्रकट करते हैं और उसी अग्नि में विश्व के कल्याण के लिए हवन किया जाता है।
उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने आज दिनाँक 12 मार्च से चल रहे सहस्त्रव्यापी स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ से सम्पूर्ण देश से जुड़ने वाले आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक उद्देश्य से जुड़ने वाले संस्थाओं के अनुरोध पत्रों एवं आवेदनों पर विचार करते हुए यज्ञ के महत्व और प्रभाव विषय पर व्यक्त किया।
“कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि हमारे यज्ञ का प्रभाव इतना व्यापक और प्रचलित होता जा रहा है, कि देश के अलग-अलग जगहों से लोग अध्यात्म और वैज्ञानिक भाव से अलग-अलग संस्थाएं जुड़ते जा रहे हैं। जो कि यहां चल रहे यज्ञों की महत्ता, आध्यात्मिक शक्ति और ऊर्जा के प्रभाव से अपने यहां के यज्ञों का संपादन भी यहाँ के यज्ञ से जुड़कर करने के लिए भारी संख्या में आवेदन और अनुरोध पत्र भेज रहे हैं। इसी कड़ी में राजस्थान के जोधपुर की एक संस्था श्री शांति देवी पीठम एवं श्री कौशल्या देवी आश्रम विद्यापीठम के संयुक्त तत्वावधान में यहां पर 87 दिनों से चल रहे सहस्त्रव्यापी चतुर्वेद स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ से जुड़कर यज्ञ में सहभाग करने के लिए आ रहे हैं। जो कि अपने सैकड़ों आध्यात्मिक शिष्यों/अनुयाइयों के साथ दिनाँक 8 जून से 13 जून तक विष्णु स्मरण/प्रायश्चित्त होम दश विध स्नान/नंदी श्राद्ध/हेमाद्रि संकल्प/भव्य कलश यात्रा/मंडप प्रवेश, पूजन/गणपति पूजन प्रधान कुंड पूजन/पंच भू सरेकार/अग्नि स्थापना/नवग्रह पूजन, अरणीमंथन से यज्ञ तथा गणपति सहित षोडश मातृका, सप्त धृत मातृका पूजन/नवग्रह पूजन/वास्तु मण्डल पूजन, चतुर्षष्ठी योगिनी मण्डल पूजन/ क्षेत्रपाल पूजन/सर्वतो भद्र मण्डल पूजन – नमाऽनुक्रमेण पिषदि प्राण प्रतिका पूजन अग्नि पूजन-रुद्र याम प्रतिष्ठान किया जाएगा।
उक्त संस्था के नव कुण्डी यज्ञ अनुष्ठान के अग्निहोत्र आचार्य पुखराज बिस्सा सोमया के द्वारा अग्निहोत्र पद्धति से यज्ञ को सहयोग करेंगे।उनके द्वारा इस महायज्ञ को प्राच्य परम्पराओं के साथ विभिन्न सहयोग कर इस महायज्ञ को विश्व मे स्थापित करने का प्रयास करेंगे।
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि अभी पिछले सप्ताह मे नवतपा जैसे ताप से सभी जीव जंतु तड़प रहे थे, यदि पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए भारतीय ज्ञान परम्परा को आत्मसात करने की बात कही।